प्रस्तुत ग्रन्थ में कबीर के रवीन्द्रनाथ कृत अंग्रेज़ी अनुवाद सहित मूलपाठ और उनका हिन्दी अनुवाद प्रस्तुत किया जा रहा है। अंडरहिल की भूमिका (Introduction) और सम्पादक के 'प्राक्कथन' में कबीर-विमर्श के कई बिन्दु उभरकर सामने आये हैं। परिशिष्ट के अन्तर्गत अजित कुमार और रवीन्द्रनाथ द्वारा प्रस्तुत कुछ (कुल 13) ऐसे अनुवाद दिये जा रहे हैं जो One Hundred Poems of Kabir में नहीं हैं।
रेटिंग जोड़ने/संपादित करने के लिए लॉग इन करें
आपको एक समीक्षा देने के लिए उत्पाद खरीदना होगा