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राधा भट्ट

राधा भट्ट

राधा बहन का जन्म 16 अक्टूबर 1933 को अलमोड़ा के धुरका गाँव में हुआ। पढ़ाई के लिए छुटपन से ही तड़प लिए वे 1951 की शुरुआत में सरला बहन द्वारा कौसानी में स्थापित लक्ष्मी आश्रम में शिक्षिका बनीं। 1957 से 61 के बीच सर्वोदय-भूदान आन्दोलन में सक्रिय रहीं। 1961 से 65 के बीच बौगाड़ में ग्रामीण नव निर्माण का काम किया । नशाबन्दी, वन, टिहरी बाँध तथा खनन विरोधी आन्दोलनों के बाद नदी बचाओ आन्दोलन में सक्रिय हिस्सेदारी ।

पिछले 6 दशकों में डेनमार्क, स्वीडन, नॉर्वे, फिनलैंड, कनाडा, मैक्सिको, अमेरिका आदि अनेक देशों में कभी विद्यार्थी और कभी शिक्षिका के रूप में काम किया। 1966 से 89 तक लक्ष्मी आश्रम (कस्तूरबा महिला उत्थान मण्डल) की सचिव रहीं। उत्तराखण्ड, हिमालय और शेष देश में लगातार यात्राएँ और जनान्दोलनों में शिरकत की। देश और विदेश में गांधी विचार, पर्यावरण, हिमालय, नयी तालीम, तिब्बत और जनान्दोलनों के साथ मानव तथा स्त्री अधिकार पर लगातार बोलती-लिखती रहीं ।

लक्ष्मी आश्रम, हिमालय सेवा संघ, गांधी स्मारक निधि, कस्तूरबा ट्रस्ट, गांधी शान्ति प्रतिष्ठान, महिला हाट, गुजरात विद्यापीठ आदि से आप सदा अभिन्न रहीं और संस्था निर्माता-पोषक बनीं। अनेक पुरस्कारों से अलंकृत 90 साल पूरे कर चुकीं राधा बहन हमारे बीच एक प्रेरक उपस्थिति हैं ।