क़ैद-ए-हयात -
क़ैद-ए-हयात नाटक में प्रसिद्ध शायर मिर्ज़ा ग़ालिब मुख्य पात्र हैं। इस नाटक में मिर्ज़ा ग़ालिब के जीवन की दस्तावेज़ी नाट्य प्रस्तुति नहीं है, बल्कि वह इस नाटक में मिर्ज़ा ग़ालिब के एक प्रतीक के रूप में उपस्थित हैं। नाटककार सुरेन्द्र वर्मा वास्तव में हमें ग़ालिब के जीवन-सन्दर्भों के सहारे किसी साहित्यकार के जीवन के काफ़ी नज़दीक ले जाते हैं और हम देखते हैं कि रचनाकार के युग-परिवेश को ही नहीं उसके सामाजिक, पारिवारिक और बेहद निजी संसार को भी हमारे सामने लाते हैं।
प्रस्तुत नाटक में ग़ालिब के माध्यम से एक साहित्यकार के संघर्ष, कष्ट, अभाव के साथ-साथ नैतिक मूल्यों को भी हमारे सामने प्रस्तुत किया गया है और यही इस नाटक की मुख्य उपलब्धि कही जा सकती है।
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