Renu Kee Charchit Kahaniyan

Paperback
Hindi
9788181439895
3rd
2020
128
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हिन्दी साहित्य में अमर कथा शिल्पी फणीश्वरनाथ रेणु सदा के लिए स्थापित रहेंगे। सिर्फ़ कथाकार के रूप में ही नहीं, बल्कि कुशल गल्पकार, फ़िल्मकार, गीतकार (जिसकी विशेषता उनकी कहानियों में भी झलकती है) के रूप में भी जाने जाते हैं। रेणु का साहित्य असहज हो कर भी सहज लगता है। पात्रों के विशाल जुलूस को एक साथ संयमित कर कुशल नेतृत्व प्रदान करना आसान काम नहीं है । चिरई -चुरमुन तथा पशु भी रेणु की कहानियों के पात्रों की श्रेणी में आते थे। इनसे भी रेणु बड़े खूबसूरत ढंग से जो चाहते, वह कहलवाते एवं करवाते थे। यह रेणु की विशिष्ट लेखन शैली का एक प्रयोग था । वे अपने समय के एक प्रयोगवादी कथाकार थे जिसे उन्होंने सिद्ध भी करके दिखलाया । प्रायोगिक तौर पर रेणु हिन्दी जगत के पहले आंचलिक कथाकार थे जिन्होंने 'मैला आँचल' उपन्यास में एक ख़ास भाषा एवं विशेष प्रकार की लेखन शैली का आविष्कार किया। रेणु का साहित्य सिर्फ़ भारत में ही नहीं, बल्कि दुनिया के कोने-कोने में पढ़ा और पसन्द किया जाता है। रूसी, जर्मन, नेपाली एवं कई अन्य भाषाओं में रेणु के उपन्यासों का अनुवाद किया जा चुका है।

रेणु की कई कहानियाँ भी काफ़ी चर्चित रही हैं। रेणु की चर्चित कहानियाँ' शीर्षक नाम की इस पुस्तक में सम्पादक ने चर्चित कहानियों को एक साथ संग्रहीत करने की कोशिश की है।

दक्षिनेश्वर रेणु (Dakshineshwar Renu)

दक्षिनेश्वर रेणु दक्षिणेश्वर रेणु हिन्दी लेखक फणीश्वर नाथ रेनू के पुत्र हैं। दक्षिणेश्वर ने दो पुस्तकें लिखी हैं:रेणु की आँचलिक कहानियाँ- रेणु की आंचलिक कहानियाँ: वाणी प्रकाशन द्वारा प्रक

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