वापसी के नाखून - 'वापसी के नाखून' हिन्दी के एक विशिष्ट और प्रतिष्ठित कथाकार नरेन्द्र नागदेव की बहुचर्चित वारह कहानियों का संकलन है। ये कहानियाँ मूल्य-विघटन के इस दौर में, स्नेहिल मानवीय सम्बन्धों पर हावी होते निर्मम भौतिकतावाद और इस टकराहट से उत्पन्न धीमी आँच में झुलसती संवेदनाओं की कहानियाँ हैं। नरेन्द्र नागदेव की कहानियों के पात्र दो धरातलों पर एक साथ संघर्षरत दिखते हैं—एक तरफ़ अपने और अपने बीच तथा दूसरी तरफ़ अपने और बाहरी परिवेश के बीच। सही अर्थों में आधुनिक मनुष्य की यही नियति है। 'वापसी के नाखून' की कहानियों में कथ्य का सुनियोजित संयोजन है—सम्भवतः कथाकार के वास्तुशिल्पी होने के प्रभाव में प्रस्तुतीकरण में अतियथार्थवादी बिम्बों को भी हम सर्वत्र देख पाते हैं। ये दरअसल उत्तर आधुनिकता के अक्स हैं, जो इन कहानियों को नया सन्दर्भ देते हैं। इस संग्रह में संकलित सभी कहानियों की विशेषता यह है कि ये कहानियाँ निरन्तर झूलती-सी चलती हैं—वर्तमान और अतीत के बीच, कल्पना और यथार्थ के बीच, सही और ग़लत के बीच, बनते और बिगड़ते सम्बन्धों के बीच अपनी आत्मीयता, सहज संवेदनशीलता तथा स्मृति सम्पन्नता के साथ। मोहक भाषा, शिल्प की महीन बुनावट, रचनाक निजी स्पर्श तथा जीवन्तता से भरे हुए कहानी संग्रह को प्रस्तुत करते हुए ज्ञानपीठ को प्रसन्नता है।
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