लाल नदी - भारतीय ज्ञानपीठ से पुरस्कृत असमिया की बहुचर्चित लेखिका इन्दिरा गोस्वामी की रचनाओं में जैसे पूरा असम क्षेत्र धड़कता हुआ महसूस होता है। उनमें असम का सांस्कृतिक और सामाजिक इतिहास नज़र आता है। इन्दिरा जी की रचनाओं, विशेषकर कहानियों में चित्रित असमी जीवन के विविध परिदृश्यों से गुज़रते हुए हमें लगता है कि जैसे हम ख़ुद वहाँ की यात्रा पर निकल पड़े हों। 'लाल नदी' की कहानियाँ आम असमी जनता के दुःख-दर्द, आशा-आकांक्षा, राग-विराग, संघात संघर्ष को उजागर करने के साथ ही हमारे मानस लोक में एक ऐसे समाज का प्रतिबिम्ब रच देती हैं, जिनके बारे में हमारी जानकारी बहुत सीमित है। इन्दिरा जी सिर्फ़ कहानी नहीं लिखतीं, वे समाज का अन्तरंग विश्लेषण भी प्रस्तुत कर देती हैं। इसलिए उनकी कहानियाँ पढ़कर पाठक केवल मुग्ध ही नहीं होता बल्कि उद्वेलित भी होता है। वे पाठकों को किसी जादुई यथार्थ में नहीं ले जातीं बल्कि सच्चाई के रूबरू खड़ा कर देती हैं। इन्दिरा गोस्वामी की कहानियाँ सिर्फ़ कथ्य की दृष्टि से ही नहीं, अभिव्यक्ति क्षमता में भी अपना सानी नहीं रखतीं। कथा को वे धीरे-धीरे मन्द आँच पर पकाती हुई निष्पत्ति पर पहुँचाती हैं, जिनका आस्वाद देर तक बना रहता है। अधिकांश कहानियाँ उनकी क्लासिकल शैली का निदर्शन हैं। प्रस्तुत संग्रह की कहानियों का चयन स्वयं इन्दिरा जी ने किया है। निश्चय ही उनकी दृष्टि से तो ये उत्कृष्ट हैं ही, पाठकों की राय भी इसमें शामिल है, जिसे लेखक से ज़्यादा कौन जानता है?
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