Your payment has failed. Please check your payment details and try again.
Ebook Subscription Purchase successfully!
Ebook Subscription Purchase successfully!
पुस्तक – मुक्ति -
मणिपुर पर्वत श्रृंखला की गोद में उत्तर-पूरब और दक्षिण की तीनों दिशाओं से अपनी अंकवार में लिए रखनेवाली चीरी नदी और उत्तर की ओर दीवान टी गार्डेन की नौ चाय बागानों में से पहिलापुल की विस्तृत कमल झील के साथ लाभक झरने के झरझराती लाभक चाय बागान, जिसके पार कुंभीग्राम हवाई अड्डे से उड़ते विमानों से होड़ लेती ऊँचे वृक्षों की हरीतिमा में बसे अपने घर लाभक पार पार्ट थर्ड ओड़ाबिल को सुन्दरतम स्थान माननेवाले डॉ. दुबे की उच्चतम शिक्षा काशी हिंदू विश्वविद्यालय में हुई। सर्वोत्कृष्ट अंक प्राप्त कर वहीं विश्वविद्यालय जरनल के सहायक सम्पादक के रूप में रायकृष्णदास और डॉ. वासुदेव शरण अग्रवाल के सहायक बने। पं. करुणापति त्रिपाठी के निर्देशन में बोली वैज्ञानिक शोध कर पीएच.डी. उपाधि पायी। पं. विश्वनाथ प्रसाद मिश्र के निर्देशन में पाठ सम्पादन के गुर सीखे और पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी के सहयोगी के रूप में प्रवक्ता रहे। तदनन्तर पं. विद्यानिवास मिश्र के रूप में प्रवाचक हो कं. मुं. हिन्दी तथा भाषाविज्ञान विद्यापीठ में आये जहाँ पिछले कई वर्षों से निदेशक का दायित्व निभा रहे हैं।
साहित्य के प्रति अनुराग और सत्यान्वेषण के प्रति आग्रह की भावना महापंडित राहुल सांकृत्यायन ने आजमगढ़ की अपनी छोटी-सी यात्रा में जगायी। आजमगढ़ की ऊसरभूमि से लेकर असम की घनी वन सम्पदा के बीच रहते हुए डॉ. दुबे ने लक्ष्य किया कि राजनीतिज्ञों ने देश के भूगोल के साथ जो खिलवाड़ किया है, उससे साधारण जनता के कष्टों का बोझ निरन्तर बढ़ता रहा है। उनका अपना गाँव असम के कदार ज़िले में स्थित है, किन्तु असम प्रदेश की राजधानी गुवाहाटी उससे बहुत दूर है, जबकि बांगलादेश का सिलहट बिलकुल पड़ोस में है। पूरब में मणिपुर की इम्फाल, में दक्षिण में मिज़ोरम की आइज़ोल, दक्षिण-पश्चिम में त्रिपुरा की अगरतला राजधानियाँ बहुत पास हैं। यहाँ तक कि देश की राजधानी दिल्ली की अपेक्षा बांगलादेश की राजधानी ढाका क्या म्यांमार (बर्मा) की राजधानी रंगून तक पास में है। बँटवारे ने हालात ऐसे कर दिये कि एक छोटे से गलियारे के अलावे शेष भारत की अपेक्षा असम के इन सप्त प्रदेशों की।
सीमाएँ चारों ओर से भूटान-तिब्बत-चीन-मायन्मार और बांगलादेश से ही मिलती हैं। चारों ओर से अन्यान्य देशों से घिरे इन प्रदेशों से शेष देश ऐसा अलग-अलग रहता है कि देश की स्वतन्त्रता की लड़ाई से लेकर अब तक की उसकी गतिविधियों के बारे में कोई कुछ जानना ही नहीं चाहता, जबकि जितनी जीवन्तता से ये प्रदेश स्वयं समूचे देश से जुड़े रहकर स्वतन्त्रता के लिए लड़े और अब भी जीवन संघर्ष कर रहे हैं, वह बड़े ही जीवट की है।
Log In To Add/edit Rating
You Have To Buy The Product To Give A Review