धरातल - समकालीन हिंदी कहानी के प्रमुख हस्ताक्षर रामधारी सिंह दिवाकर की कहानियाँ संक्रमणशील ग्रामीण यथार्थ को किन्हीं राजनीतिक आग्रहों से कथान्वित नहीं करतीं, बल्कि यथार्थ के अंतर्निहित सत्य को, उसके छोटे-छोटे स्पंदनों को छूती हुई चलती हैं। गांव के गतिशील यथार्थ को, उसके प्रत्येक रग-रेशे को इनकी कहानियाँ कहीं हल्के स्पर्श से तो कहीं गहरी रेखाओं से उकेरती हैं । इनकी कहानियों के पात्र अपने माटी - पानी की उपज होते हैं, इस कारण अलग से उनको 'पेंट' कर चरित्र बनाने या गढ़ने की कोशिश इनमें नहीं मिलती । कोई शिल्पगत चमत्कार और विषय वस्तु की व्यूह-रचना भी ये नहीं करते। इनकी कहानियों में एक तरह की अनुरागात्मक सहजता है, ऋजु गत्यात्मकता। मानवीय संबंध और संवेदन जहाँ भी आहत होते हैं, ठीक उन्हीं केंद्रों से इनकी कहानियाँ जन्म लेती हैं और पाठकीय विश्वास को अपने साथ लेती हुई परिधि तक फैलती हैं ।
इस संग्रह की कहानियाँ प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होकर प्रशंसित हो चुकी हैं।
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