Dariyai Ghoda

Hardbound
Hindi
9789387330801
5th
2020
120
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“कौन कहता है कि कहानियों के पेड़ नहीं हुआ करते। होते हैं। उदय ने अपनी कहानियों को उन पेड़ों पर से तोड़ा है, जैसे हम सेव, आम तोड़ते हैं। उदय की कहानियों के पेड़ न तो रूस के जंगलों में हैं, न चीन में, न जर्मनी के जंगलों में हैं, न स्पेन में। वे आज के डरावने समय के जंगल में उगे पेड़ हैं, जहाँ से उदय अमरूद की तरह अनगिनत बीज वाली कहानियाँ तोड़ते हैं। इन कहानियों में उनकी कविताएँ भी अन्तर्निहित हैं, जो रात में हारमोनियम की तरह बजती हैं और मनुष्य के भीतर की रिक्तता को भरती हैं। फिर भी कुछ लोग हैं जो 'चोखी' (वारेन हेस्टिंग्स का साँड़) के मरने और तिरिछ द्वारा काटे हुए पिता की ट्रेजेडी पर ज़ोर-ज़ोर से हँसते हैं।
...वे शायद नहीं जानते कि दरियाई घोड़ा जब मरता है तो कितना छटपटाता है!”

- डॉ. कुमार कृष्ण
कहानी के नये प्रतिमान : वाणी प्रकाशन, नयी दिल्ली


"यह अकारण नहीं है कि 'ख़तरनाक विचार' वाले नये लेखकों की कहानियाँ देश के कुछ बड़े लेखकों-आलोचकों द्वारा न सिर्फ़ रद्द करने की कोशिशें की जा रही हैं वरन् उनके समानान्तर ऐसी कहानियों को प्रतिष्ठित करने की कोशिशें की जा रही हैं, जिनमें 'विचार' या तो अनुपस्थित है या है भी तो नख-दंत विहीन । ऐसी कहानियों का सच द्रष्टा का नहीं, दर्शक का सच होता है।
...' दरियाई घोड़ा' उदय प्रकाश के कहानीकार की उपलब्धि के बतौर गिनी जा सकती है, जिसमें रचा-बसा गहरा मानवीय स्पर्श, संवेदना और ताप आज की युवा कहानी की सामर्थ्य और ताज़गी का बैरोमीटर माना जा सकता है।
एक कवि की इतनी समर्थ कहानियाँ उन लोगों को उलझन में डाल देंगी जो मानते हैं कि एक कवि अगर कहानी लिखेगा तो वह भी गद्य-कविता ही होगी। बेशक, उदय प्रकाश की इन कहानियों में भी एक आन्तरिक लय है, लेकिन वह कविता की नहीं, कहानी की लय है।”

- धीरेन्द्र अस्थाना
दिनमान : 29 जुलाई-4 अगस्त 1984

उदय प्रकाश (Uday Prakash )

उदय प्रकाश हिन्दी कथा और कविता में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठित साहित्यकार हैं। जन्म 1 जनवरी 1952 को छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के सीमान्त जिले अनूपपुर के छोटे-से गाँव सीतापुर में। प्राथमिक,

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